Monday 12 July 2021

आईआईयू के द्वितीय अंतराष्ट्रीय दीक्षान्त समारोह में 51 विशिष्ट व्यक्तियों का होगा सम्मान

होनरेरी डिग्री बोर्ड द्वारा सभी चयनित शोधार्थियों के नाम की घोषणा 20 जुलाई को जयपुर प्रेस कॉन्फ्रेंस में होगी

हमें आपको अंतर्राष्ट्रीय इंटर्नशिप विश्वविद्यालय के दूसरे वार्षिक दीक्षांत समारोह *28 जुलाई 2021* को आमंत्रित करते हुए बेहद गर्व महसूस हो रहा है ।

दीक्षातं समारोह में विशिष्ट कार्य करने वाले देश विदेश के विशेष योग्यता के साथ अंतराष्ट्रीय स्तर का शोधपत्र प्रस्तुत करने वाले विशिष्ट व्यक्तियों को  जीवन उपलब्धि के रूप में डॉक्टरेट की मानद उपाधि देकर सम्मानित किया जाएगा, इस महान कार्यक्रम में साक्षी बनने हेतु हम आपको आमंत्रित करते हैं । 

आईआईयू गौरवान्वित महसूस कर रहा है क्योंकि हम समाज को कुछ प्रतिभाशाली व्यक्ति दे रहे हैं। जिन्हें दीक्षातं समारोह में  विश्वस्तरीय ख्याति प्राप्त होगी ।

हर साल हम इस अवसर के लिए एक अद्भुत व कड़ी मतदान प्रक्रिया से गुजरते हैं ।चयनित व्यक्तियों व उनकी कड़ी मेहनत की हम सराहना करेंगे। यह एक ऐसा समय है जब हम सभी चयनित शोधकर्ताओं को उनके शोध कार्य में किए गए अनुभव, प्रयासों के लिए जश्न मना सकते हैं और बधाई दे सकते हैं।

आईआईयू दीक्षांत समारोह का आयोजन जयपुर (पिंक सिटी) राजस्थान आयोजित किया जा रहा है ।

कार्यक्रम में नॉमिनेशन जारी है, आप आवेदन हेतु संपर्क करें |

होनरेरी डिग्री कॉउंसिल एशिया
अंतर्राष्ट्रीय इंटर्नशिप विश्वविद्यालय (आईआईयू)

Thursday 1 July 2021

इंटरनेशनल इंटर्नशिप यूनिवर्सिटी ब्लॉकचेन टेक्नॉलजी से लैस

ब्लॉकचेन आधारित  व वित्तीय लेन देन की शुरुवात अक्टूबर तक संभव
क्रिप्टो करंसी यानी वर्चुअल मनी पर नीति क्या हो, उसे मान्यता दी भी जाए या नहीं, जब दुनिया भर की सरकारों के लिए ये लाख टके का सवाल बना हुआ है, तब दक्षिण अमेरिका के छोटे से देश एल साल्वाडोर ने डिजिटल करंसी बिट कॉइन को कानूनी मान्यता देकर पहला कदम बढ़ा दिया है. एल साल्वाडोर जिसकी अपनी कोई करंसी नहीं है, जहां अमेरिकी डॉलर का चलन है, वहां का ये फैसला सीधे तौर पर भारत जैसे देशों को प्रभावित भले ना करे, लेकिन इतना तय है कि इससे कोई देश अछूता नहीं रह सकता. क्रिप्टो करंसी आधुनिक वित्तीय लेन-देन की सबसे क्रांतिकारी तकनीक है. जब मैं क्रांतिकारी कह रहा हूं तो मेरा मतलब बिल्कुल ये नहीं कि इसके सकारात्मक होने की मैं गारंटी ले रहा हूं. क्रांतिकारी कहने से मेरा मतलब सिर्फ इतना है कि ये एक ऐसी वित्तीय व्यवस्था है जिससे दुनिया भर की सरकारें चाह कर भी अनजान नहीं रह सकती हैं.आई आई यू के ब्लॉक चेन प्रमुख मनीष पटेल ने कहा कि जल्द ही हम अपना वर्चुवल करेंसी शिक्षा पर कॉस्ट कम करने हेतु लांच करेंगे, उदाहरण के तौर पर फीस व डोनेशन का अदान प्रदान ब्लॉकचेन आधारित होगा, जहां सभी वर्चुअल करेंसी को मान्यता होगी । 


क्रिप्टो करंसी के मद्देनजर दक्षिण अमेरिका के छोटे से देश एल साल्वाडोर ने एक बड़ी पहल को अंजाम दिया है।

इस पहल को सही कदम बताते हुए *आईआईयू संस्थापक पीयूष पण्डित ने कहा आम आदमी के मेहनत से अर्जित किये गए धन पर कंट्रोल कुछ कंपनियों के पास होना हैरानी की बात है, और खुद के पैसे के लेंन देंन पर तीसरे व्यक्ति पर निर्भरता निश्चित ही हमारे विकसित होने य विकाशील होने पर प्रश्न चिन्ह लगाती है* । क्रिप्टो करंसी नेटवर्क कंप्यूटर्स की ब्लॉकचेन तकनीक पर काम करता है. आम पाठकों को यहां ब्लॉकचेन तकनीक समझने की जरूरत नहीं है. सिर्फ इतना समझ लीजिए कि जो रीयल मनी या करंसी होती है, दुनिया भर की सरकारें अपने-अपने देशों में उस वित्तीय व्यवस्था की साझेदार होती हैं और उन देशों का सेंट्रल बैंक उनकी गारंटी लेता है और उसे नियमित करता है.


इसमें *वित्तीय लेन-देन का बहीखाता उन बैंकों की जागीर होती है जहां पर किसी व्यक्ति का बैंक खाता खुला होता है. जबकि इसके उलट वर्चुअल करंसी का लेजर पब्लिक होता है. कोई केंद्रीय व्यवस्था इसको नियंत्रित नहीं करती. इसका यही चरित्र इसके क्रांतिकारी होने की वजह है, और यही इस के खिलाफ सबसे बड़ा आर्ग्यूमेंट भी है*.

क्रिप्टो करंसी के आपराधिक इस्तेमाल की आशंका को लेकर सरकारें इसके प्रति आशंकित रही हैं, इसलिए इसे मान्यता देना तो दूर, इस पर लगाम लगाने के कदम तक उठाए गए. लेकिन कोई तकनीक अगर ईजाद हो गई है, तो उसे खत्म नहीं किया जा सकता. इसलिए क्रिप्टो करंसी का ना सिर्फ अपना वजूद बना रहा, बल्कि इसका विस्तार होता गया.

2009 में बिटकॉइन पहली क्रिप्टो करंसी थी लेकिन आज की तारीख में सैकड़ों क्रिप्टो करंसीज मौजूद हैं. वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम का अनुमान है कि 2025 तक वैश्विक GDP का 10% ब्लॉकचेन यानी वर्चुअल करंसी के तौर पर होगा. 2030 तक ब्लॉकचेन 3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के बराबर बिजनेस वैल्यू रखेगा.

2018 में भारत में RBI के सर्कुलर से निजी क्रिप्टो करंसी पर चाबुक चला. लेकिन मार्च 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने इस सर्कुलर की वैधता को अमान्य कर दिया. अब भारत में चीन के 'डिजिटल युआन' की तर्ज पर 'डिजिटल रुपया' के तौर पर वर्चुअल करंसी निकालने पर गंभीरता से विचार हो रहा है. जल्द ही संसद में 'क्रिप्टो करंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करंसी बिल, 2021' पेश किया जा सकता है.

बिल के प्रावधानों का अभी अंदाजा नहीं लग सका है, लेकिन इसके जरिये जिस भारतीय डिजिटल करंसी को मान्यता देने पर विचार हो रहा है, वो भारत के 'रुपये' के समकक्ष होगी. डिजिटल करंसी को नियमों से सम्बद्ध करने की जरूरत पर विशेषज्ञ सहमत तो हैं, लेकिन 'डिजिटल रुपया' लाने जैसी व्यवस्था को विकेंद्रित वित्तीय तकनीक को केंद्रित करने की कोशिश करने का विरोधाभाषी कदम मानते हैं.

उनके मुताबिक इस तरह का प्रयास भारत को क्रिप्टो करंसी की अवश्यंभावी संभावना में पिछड़ने पर मजबूर करेगा. जाहिर तौर पर क्रिप्टो करंसी को लेकर आने वाले दिनों में बहस और तेज होगी. इसके स्वरूप पर दो ध्रुव अभी से खड़े दिख रहे हैं, जबकि बड़ी आबादी की कौन कहे, नियामक तक इसे पूरी तरह समझ नहीं सके हैं.इस बीच ब्लॉकचेन पर करीब 100 मूक बेस्ड कोर्स डिप्लोमा के साथ आईआईयू कदम बढ़ा चुकी है ।