Wednesday 21 December 2016

peeyush-pandit

#स्वर्ण_भारत_परिवार_के_योद्धाओ_को_समर्पित !!

ठोकरें ख़ाता हूँ पर "शान" से चलता हूँ
मैं खुले आसमान के नीचे,सीना तान के चलता हूँ

मुश्किलें तो "साज़" हैं ज़िंदगी का
"#आने_दो_आने_दो".....
उठूंगा , गिरूंगा फिर उठूंगा और
आखिर में "जीतूंगा मैं ही,ये ठान के चलता हूँ.....

स्वर्ण भारत परिवार में सभी का स्वागत है ।।






Sunday 18 December 2016

Peeyush Pandit Profile


निःस्वार्थ भाव से समाज सेवा सबसे बड़ा कर्म माना जाता है इस बात को बड़ी सहजता के साथ चरितार्थ करते हैं श्री पीयूष शुक्ला श्री पीयूष शुक्ला पिछले दस वर्षों से समाज सेवा के कार्यों में संलग्न हैं , उनकी संस्था हेल्प इंडिया हेल्प फ़ाउंडेशन समाज के उत्थान हेतु सदैव तत्पर रहती है हेल्प इंडिया हेल्प फ़ाउंडेशन के द्वारा अनेक समाज उपयोगी योजनाओं का क्रियान्वन और संचालन किया जा रहा है पेंशन योजना , बेटी बचाओ योजना , फ्युचर रत्ना प्रोग्राम , गौ रक्षा अभियान , महिला सशक्तिकरण , सिलाई कढ़ाई सेंटर एवं स्किल प्रशिक्षण , गंगा यमुना एक्शन प्लान , एड्स जागरूकता अभियान , विकलांग कल्याण योजना जैसी अनेक समाज सेवी योजनाएँ श्री पीयूष चला रहे हैं समाज के विकास के लिए महिला शिक्षा और सशक्तिकरण पर बल देते हैं वे ...उनका कहना है कि महिलाओं को बेहतर शिक्षा और भविष्य निर्माण के अवसर उपलब्ध होने चाहिए तभी समाज को विकास की मुख्य धारा से जोड़ा जा सकता है सभी के लिए समान शिक्षा के अवसर उपलब्ध हों यह हमारा ध्येय होना चाहिए ...शिक्षा को सबल बनाकर ही बेरोजगारी की भीषण समस्या से निजात पाया जा सकता है समाज सेवा का भाव मन में कैसे आया यह पूछने पर श्री पीयूष शुक्ला कहते हैं कि सेवा भाव की सीख उन्हे अपने घर से मिली है उनके पिता श्री देवी प्रसाद एक बड़े समाज सेवी हैं जिन्होने अपना सारा जीवन समाज को समर्पित कर दिया शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए उन्होने अनेक स्कूल , कालेजों का निर्माण करवाया किसी के भी दुख को अपना दुख समझकर सहयोग के लिए सदैव तैयार रहते हैं वो ....वही संस्कार आज मेरे जीवन को प्रकाशवान कर रहे हैं बचपन में पिता जी की कही गयी एक पंक्ति मैं कभी नहीं भूला ....और भूलूँगा ....वो कहते थे कीसेवा भाव का उदय होने से व्यक्ति दूसरों के दुखों को दूर करने की चेष्टा में अपने दुखों या परेशानियों को भूल जाता है ....और उसके तन मन का सामर्थ्य बढ़ जाता है "  
आरंभिक जीवन :
27 जुलाई 1986 को प्रतापगढ़ के ब्राह्मण परिवार में पीयूष पंडित का जन्म हुआ उनके पिता श्री देवी प्रसाद शुक्ल सनातन धर्म में प्रघाढ़ आस्था रखने वाले सनातन हिन्दू धर्म के प्रचारक और समाज सेवी हैं पिता के संस्कारों की झलक पीयूष में बचपन से दिखाई देती है पीयूष बचपन से ही पिता के सामाजिक कार्यों में हाथ बटाते थे , इसलिए उनमे परोपकार और समाजसेवा का भाव आरंभिक जीवन में ही गया था और इसी कारण पीयूष ने समाज सेवा को ही प्राथमिकता देते हुये कार्य के रूप में चुना
शिक्षा : पीयूष पंडित की आरंभिक शिक्षा प्रतापगढ़ और इलाहाबाद में हुयी उसके उपरांत आगे की शिक्षा उन्होने दिल्ली मे आकर पूर्ण की 2006 में स्नातक की उपाधि धारण करके पीयूष सक्रिय रूप से समाज सेवा में संलग्न हो गए   
व्यवसाय : पीयूष सदैव से ही पर्यावरण प्रेमी और पर्यावरण की रक्षा के प्रति सजग रहे हैं अपने कार्यक्षेत्र और व्यवसाय के रूप में उन्होने सौर ऊर्जा के क्षेत्र को चुना पीयूष का स्वप्न सभी को सौर ऊर्जा के उपयोग के प्रति जागृत करना और रिनियल अनर्जी का सदुपयोग करना है यह ऊर्जा हमे प्रक्रति के द्वारा प्रदान की जाती है इसका कोई हानिकारक पक्ष नहीं है सौर ऊर्जा के अधिकाधिक उपयोग एवं इसे बढ़ावा देने के लिए पीयूष ग्राम योजना चला रहे हैं जिसका उद्देश्य अत्यधिक संख्या में ऐसे गाँव और क्षेत्र विकसित करना हैं जहां सभी सुविधाएं स्कूल , कॉलेज , हस्पताल , बैंक , शॉपिंग मॉल इत्यादि सभी सौर ऊर्जा के द्वारा संचालित हों सौर ऊर्जा के अधिकाधिक उपयोग से पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना पीयूष की दूर दृष्टि का ही परिचायक है    
सामाजिक कार्य : सभी के लिए समान सामाजिक व्यवस्था , शिक्षा , रोजगार और स्वास्थ्य सेवा के अवसर उपलब्ध हों सभी भारतीय उत्तम सामाजिक पोषण में जीवन यापन करें यह पीयूष पंडित का स्वप्न है समाज के विकास में सामाजिक कार्यकर्ताओं और सामाजिक संगठनो की भूमिका अति महत्वपूर्ण होती है क्योंकि सामाज सेवी समाज उच्च और निम्न का खाई को पाटकर समानता की स्थापना पर ज़ोर देते हैं पीयूष एक सरल और सहज स्वभाव के सामाज सेवी हैं शिक्षा और महिला सशक्तिकरण की दिशा में उन्होने ने बहुमूल्य योगदान दिये हैं गलत सामाजिक नीति और व्यवस्था का पीयूष ने सदैव पुरजोर विरोध किया। इसीलिए पीयूष जातिगत आरक्षण के घोर विरोधी हैं जाति के आधार पर की गयी संरक्षण की व्यवस्था भारत को पतन की राह पर लेकर जा रही है एक और प्रतिभाओं का हनन हो रहा है तो दूसरी ओर आरक्षण के माध्यम से आगे बढ्ने वालों की प्रतिभा को पंगु बनाया जा रहा है पीयूष का कहना है की आरक्षण समाज में किसी के लिए भी उपयोगी नहीं है यह भारत को टुकड़ों में बाँट रहा है , समाज में वैमनस्य की भावना फैल रही है आए दिन आरक्षण के लिए देश में दंगे और आंदोलन होते हैं जिससे भारत की संपत्ति का ही नुकसान हो रहा है हर रूप में इसलिए पीयूष पंडित कहते हैं कि आरक्षण कि व्यवस्था को समाप्त करके आर्थिक आधार पर संरक्षण दिया जाना चाहिए ताकि हर जरूरत मंद को उसकी जरूरत के अनुसार मदद मिले, आरक्षण का कटोरा नहीं   
हेल्प इंडिया हेल्प फ़ाउंडेशन : पीयूष पंडित ने समाज हित में सक्रियता से कार्य करने के लिए 2011 में " हेल्प इंडिया हेल्प फ़ाउंडेशन " की स्थापना की हेल्प इंडिया हेल्प फ़ाउंडेशन के द्वारा अनेक समाज उपयोगी योजनाओं का क्रियान्वन और संचालन किया जा रहा है पेंशन योजना , बेटी बचाओ योजना , फ्युचर रत्ना प्रोग्राम , गौ रक्षा अभियान , गौ ग्राम , महिला सशक्तिकरण , सिलाई कढ़ाई सेंटर एवं स्किल प्रशिक्षण , गंगा यमुना एक्शन प्लान , एड्स जागरूकता अभियान , विकलांग कल्याण योजना , भारतीय संस्कृति संवर्धन केंद्र , स्वर्ण भारत निर्माण जैसी अनेक समाज सेवी योजनाएँ श्री पीयूष चला रहे हैं
शिक्षा एवं समानता : शिक्षा समाज एवं राष्ट्र के विकास के लिए सबसे अधिक आवश्यक अंग है इसलिए सभी के लिए समान शिक्षा के अवसर उपलब्ध हों इसके लिए पीयूष सदैव तत्पर रहते हैं समाज के प्रति उनका यही नजरिया उन्हे नेतृत्व का गुण प्रदान करता है
गौ ग्राम : गायों के प्रति हो रहे अत्याचार और गौ हत्या जैसे जघन्य अपराध भारत जैसे सनातन धर्म के प्रमुख केंद्र के लिए कलंक के समान हैं गायों की सुरक्षा के लिए पीयूष अपने संस्थान के माध्यम से गौ ग्राम योजना चला रहे हैं जिसके तहत वो गायों को संरक्षित करके ग्रामीण युवाओं के लिए गोपालक के रूप में रोजगार के अवसर भी उपलब्ध कराते हैं
निर्भर महिला : निर्भर महिला " महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक सवर्णिम प्रयास है इस योजना के तहत पीयूष घरेलू महिलाओं को स्वरोजगार एवं रोजगार के अवसर प्रदान करके उन्हे आर्थिक रूप से सबल और सक्षम बनाकर उनको स्वावलंबी बनाने का काम कर रहे हैं महिला सशक्तिकरण की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण प्रयास है महिला सशक्तिकरण के अंतर्गत महलाओं को सामाजिक , आर्थिक , राजनैतिक और कानूनी मुद्दों पर संबल प्रदान करने का काम कर रहे हैं पीयूष
रिनियल एनर्जी : रिनियल एनर्जी उत्पादन के द्वारा सौर ऊर्जा के उपयोग को अधिकाधिक बढ़ावा देकर पीयूष पंडित सौर ऊर्जा को ऊर्जा के बेहतर विकल्प के रूप में स्थापित करना चाहते हैं , इस दिशा में उनका कार्य एवं योगदान सराहनीय है ।पीयूष सौर ऊर्जा से संचालित होने वाले उपकरणों के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए एक मुहिम चला रहे हैं सौर ऊर्जा उपकरणो का निर्माण करवाकर विलेज विकसित कर रहे हैं पीयूष उनका प्रत्येक प्रयास समाज हित और दूसरों के हित को ध्यान में रखकर किया जाता है यही उनके व्यक्तित्व की ऊंचाई है   
आरक्षण विरोधी महा अभियान : आरक्षण देश को खोखला करने का काम कर रहा है जाति के आधार पर आरक्षण की व्यवस्था प्रतिभाओं का हनन कर रही है इसलिए पीयूष पंडित ने आरक्षण विरोधी मुहिम छेड्कर सरकार को आरक्षण समाप्त करने की अपील की है पीयूष आरक्षण विरोधी महा अभियान चलाकर जातिगत आरक्षण को समाप्त करने के लिए महत्वपूर्ण कार्य कर रहे है आज का युवा उन्हे आदर्श रूप में देखता है पीयूष कहते हैं की जातिगत आरक्षण धीमी जहर के समान है , आरक्षित समाज को यह पंगु बनाती है और अनारक्षित के मन में आरक्षित समाज के प्रति विद्वेष की भावना भरती है योग्यतम का चयन होने से देश की जनता गुणवत्ता पूर्ण सेवाओं से वंचित रहती है और प्रगति शिथिल होती है
स्वर्ण भारत संगठन का गठन : समाज और राष्ट्र को संस्कृति पतन , भृष्टाचार , और जातिगत आरक्षण जैसी भीषण समस्याओं से जूझता देखकर 2015 में पीयूष पंडित ने " स्वर्ण भारत संगठन " का गठन किया स्वर्ण भारत का निर्माण करके पुनः भारत की गरिमा को स्थापित करना इस संगठन का उद्देश्य है यह संगठन पूरे जोश के साथ कार्य कर रहा है युवा बड़ी ही तेजी से इस संगठन के साथ जुड़ रहे हैं , पूरे भारत में " स्वर्ण भारत संगठन " की आरक्षण विरोधी मुहिम चल पड़ी है पीयूष की अगुवाई में आरक्षण के समाप्त होने के लिए यह अच्छे संकेत हैं पीयूष बड़ी ही तत्परता के साथ मुहिम को आगे बढ़ा रहें हैं पीयूष कहते हैं की भारत में सभी के लिए समान व्यवस्था और अवसर उपलब्ध होने चाहिए तभी स्वर्णिम भारत के निर्माण का और अखंड भारत का स्वप्न पूरा हो सकता है और इस स्वप्न को हम अवश्य पूरा करेंगे
जातिगत आरक्षण के विरोध में आंदोलन : पीयूष पंडित की अगुवाई में में पूरे भारत में आरक्षण की व्यवस्था के विरोध में आवाजें उठ रही हैं और एक आंदोलन का रूप ले रही हैं क्योंकि एक बड़ी संख्या में युवाओं में इस आरक्षण की नीति को लेकर आक्रोश है यह दोहरी शासन नीति समाज को टुकड़ो में बाँट रही है पीयूष कहते हैं कि हमारा उद्देश्य किसी जाति या वर्ग का विरोध करना नहीं है बल्कि उस व्यवस्था का विरोध करना है जो देश के विकास में बाधक है आरक्षण कि नीति किसी के लिए हितकर नहीं है इस व्यवस्था से कुछ प्रतिशत लोगों को ही लाभ पहुँच रहा है और जिन्हे वास्तव में सहयोग की आवश्यकता है उन तक लाभ पहुँच ही नहीं रहा फिर चाहे वो जिस जाती या वर्ग के हों यदि भारत को विकास की राह पर आगे बढ़ाना है तो इस आरक्षण की व्यवस्था को समाप्त करके आर्थिक आधार पर संरक्षण देना चाहिए ताकि सभी को समान व्यवस्था का लाभ मिल सके  
संस्कृत एवं संस्कृति संरक्षण : संस्कृत और भारतीय संस्कृति के संरक्षण के लिए पीयूष सदैव प्रयास रहते हैं हिन्दी भाषा के उत्थान के लिए किए गए उनके कार्यो के लिए उन्हे हिन्दी गौरव सम्मान प्राप्त हुआ है भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म को वह सभी के लिए उत्तम मानते हैं वैदिक धर्म ही समाज में समरसता का भाव स्थापित कर सकता है उनके पिता पंडित देवी प्रसाद शुक्ल आजीवन सनातन धर्म के प्रचारक रहे , जीवन के अंतिम चरण में दंडी स्वामी के रूप में सन्यास लेकर सनातन धर्म की संवृद्धि के लिए कार्य कर रहे हैं पीयूष भी अपने पिता के पदचिन्हों में चल रहे हैं
व्यक्तित्व एवं विचारधारा : एक सफल उद्यमी ...समर्पित समाजसेवी ...सरल स्वभाव और सहज व्यक्तित्व के धनीपीयूष शुक्लाकी प्रतिभा और उद्यमशीलता आज किसी परिचय की मोहताज नहीं है वह भारत के उन चुनिंदा युवाओ  में से एक हैं जो सम्पूर्ण भारत के विकास एवं उत्थान का सपना देखते हैं दो आँखों से सारा आकाश अपना बना लेने की काबलियत है उनमे ... और ज़िंदगी के एक छोटे से पड़ाव में मात्र उन्तीस वर्ष की आयु में उन्होने जो मुकाम हासिल किया है वह देश के करोड़ों युवाओं के लिए मार्गदर्शक एवं प्रेरणास्रोत है इसीलिए ये पंक्तियाँ उनके व्यक्तित्व और कृतित्व से बिलकुल मेल खाती हैं
मंज़िले उन्हीं को मिलती हैं , जिनके सपनों में जान होती है
पंखों से कुछ नहीं होता , हौसलों से उड़ान होती है
पीयूष पंडित ने अपने हौसलों की उड़ान से इसे बखूबी चरितार्थ किया है
पीयूष पर उनके मातापिता को बहुत गर्व है , क्योंकि उन्होने अपने मातापिता के सपनों को साकार किया है स्वयं को आदर्श व्यक्तित्व के रूप में स्थापित करके पीयूष कहते हैं कि माता-पिता और गुरु की हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका होती है , वे हमे सत्य की राह पर चलना सिखाते हैं देश के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर उत्पन्न करना और उन्हे विकास की ओर अग्रसर करना पीयूष शुक्ला का सपना है क्योंकि उनका मानना है कि युवा शक्ति कि ऊर्जा का सकारात्मक कार्यों में उपयोग करना समाज और सरकार की सामूहिक ज़िम्मेदारी है और इसे निभाकर ही युवाओं को सृजनात्मक कार्यों में लगाया जा सकता है युवा बढ़ेंगे तो देश बढ़ेगा ..... पीयूष पंडित सबके विकास का स्वप्न देखते ही नहीं उसे अपनी कर्मठता से पूर्ण करने का जज्बा भी रखते हैं इसी कारण आज वो लाखो युवाओं के प्रेरणा स्रोत हैं
सम्मान : पीयूष पंडित को उनकी सामाजिक उद्यमिता और सेवी भावना उन्हें हर स्थान पर अग्रणी रखती है उनके सेवा कार्यों के लिए उन्हें अनेक सम्मान प्राप्त हुये
·        युवा शक्ति सम्मान
·        पर्यावरण प्रहरी सम्मान
·        संस्कृति गौरव सम्मान
·        माँ गोमती रत्न पुरस्कार
·        मानव रत्न सम्मान
समाज सेवा के लिए उन्हें अनेक सम्मान एवं पुरस्कार प्राप्त हुये हैं