#स्वर्ण_भारत_परिवार_के_योद ्धाओ_को_समर्पित !!
ठोकरें ख़ाता हूँ पर "शान" से चलता हूँ
मैं खुले आसमान के नीचे,सीना तान के चलता हूँ
मुश्किलें तो "साज़" हैं ज़िंदगी का
"#आने_दो_आने_दो".....
उठूंगा , गिरूंगा फिर उठूंगा और
आखिर में "जीतूंगा मैं ही,ये ठान के चलता हूँ.....
स्वर्ण भारत परिवार में सभी का स्वागत है ।।
ठोकरें ख़ाता हूँ पर "शान" से चलता हूँ
मैं खुले आसमान के नीचे,सीना तान के चलता हूँ
मुश्किलें तो "साज़" हैं ज़िंदगी का
"#आने_दो_आने_दो".....
उठूंगा , गिरूंगा फिर उठूंगा और
आखिर में "जीतूंगा मैं ही,ये ठान के चलता हूँ.....
स्वर्ण भारत परिवार में सभी का स्वागत है ।।
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