आरक्षण को समाप्त करके ही अखंड भारत के निर्माण का स्वप्न पूरा होगा : पीयूष पंड़ित
समाज की दशा और दिशा बदलने में सामाजिक संस्थाओं का महत्वपूर्ण योगदान होता है । सामाजिक संगठन देश में चेतना लाकर समाज को सही व्यवस्था के साथ अटल होकर खड़ा रखते हैं तो वहीँ गलत व्यवस्था और कुरीतियों के खिलाफ़ अपनी आवाज़ बुलंद करने का लोगों में हौसला और जज्बा भरते हैं । ऐसे सशक्त व्यक्तित्व का हौसला समाज की दशा और दिशा बदल देता है । सर्वे भवन्तु सुखिनः ही उनके जीवन का उद्देश्य होता है । ऐसे ही असीम हौसलों की मिसाल हैं स्वर्ण भारत मुहिम के जरिये स्वर्ण भारत के निर्माण का स्वप्न देखने वाले पीयूष पंड़ित जी का । पीयूष जी कहते हैं गलत व्यस्थाओं का विरोध न करना उन्हें बढ़ावा देने के समान होता है । इसलिये हर किसी को गलत व्यवहार और व्यवस्था के खिलाफ़ अपनी आवाज़ बुलंद करनी चाहिये । यदि हर एक नागरिक सही और गलत के बोध को समझ ले तो कोई अव्यवस्था फ़िर नहीं होगी । पीयूष पंड़ित स्वर्ण भारत संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं । संगठन बड़ी ही तत्परता से समाज के उत्थान के लिये कार्य कर रहा है । वर्तमान सामाजिक व्यवस्था में दोष के बारे में पूछने पर पीयूष जी कहते हैं कि आरक्षण व्यवस्था आज समाज का सबसे बड़ा दोष भी है और समाज के, राष्ट्र के विकास की राह में सबसे बड़ा रोड़ा भी । जातिगत आरक्षण की जो कुव्यवस्था चल पड़ी है वह भारत को पतन के गर्त पर लेकर जायेगी. इसलिये यथा शीघ्र इसे समाप्त किया जाना चाहिये । सरकार आरक्षण व्यवस्था को समाप्त कर हर ज़रूरत मंद को संरक्षण दे , तभी देश का समुचित विकास हो सकेगा । आरक्षण को समाप्त करके ही अखंड भारत के निर्माण का स्वप्न पूरा हो सकता है ।
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