Thursday, 13 June 2019

People Appeal to Government to send Peeyush Pandit to Rajya Sabha

"जन जन की एक पुकार पीयूष पंडित को राज्यसभा भेजे सरकार"​


उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में एक सक्रिय समाजसेवी पीयूष शुक्ला जिन्हें लोग पीयूष पंडित के नाम से जानते हैं। पूर्वांचल में चर्चित पीयूष पंडित गरीबों की आवाज माने जाते हैं।
पीयूष पंडित जी अपने सामाजिक संगठन स्वर्ण भारत परिवार के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं और उनका यह संगठन शिक्षा के क्षेत्र में गरीब बच्चों को पुस्तकें उपलब्ध कराना और उनको पढ़ाने के लिए प्रयासरत है और इसके लिए पीयूष पंडित जी ने अपने संगठन के कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया है कि वे सभी अपने क्षेत्र के गरीब बच्चों को शाम को पढ़ाने के लिए दो घंटे क्लास चलाये और स्कूलों की बढ़ती हुई फीस के खिलाफ भी स्वर्ण भारत परिवार समय समय पर आवाज उठाता रहा है। गरीबों की शिक्षा को लेकर पीयूष पंडित जी पहले भी चिंता जता चुके हैं। उनका कहना है कि प्राइवेट स्कूलों की बढ़ती फीस से गरीब और समान्य परिवार के छात्र सरकारी स्कूलों पर निर्भर हो गए हैं और सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गिरती हुई गुडवत्ता की वजह से गरीब छात्र शिक्षा से थोड़ा दूर होता जा रहा है। 

गरीबों के भोजन की ब्यवस्था को लेकर स्वर्ण भारत परिवार कार्य करता रहा है पीयूष पंडित जी का कहना है कि वर्तमान समय में अपने ही देश में जहां एक तबका है जो प्रतिदिन भोजन की बर्बादी करता है वहीं दूसरा ऐसा भी तबका है जिसे दो वक़्त की रोटी भी नसीब नहीं होती है, शादियों और कार्यक्रमों में होने वाली भोजन की बर्बादी को रोकने के लिए कोई कानून लाने की जरूरत है और हो सके तो बचे हुए भोजन को बर्बाद न करके उसे जरूरतमन्द तक पहुचाने का प्रयास करना चाहिए।
पर्यावरण को लेकर स्वर्ण भारत परिवार बहुत ही जागरूक है और पर्यावरण संरक्षण के लिए समय समय पर पीयूष पंडित जी बृक्षारोपण अभियान भी चलाते रहे हैं।उन्होंने अपने जन्मदिन पर एक बृक्ष लगाने का सुझाव भी उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं को दिया है । पीयूष जी का कहना है कि जिस तरह से बृक्षों की कटाई चल रही है उस प्रकार तो पृथ्वी का अंत सन्निकट है ऐसे में पर्यावरण संरक्षण के लिए कड़े कानून बनाने की आवश्यकता है।


गरीबों की आवाज माने जाने वाले पीयूष पंडित गरीबों पर हो रहे अत्त्याचार और शोषण के विरुद्ध संघर्ष करते रहे हैं। ऐसे मामले जहां दबंगों द्वारा गरीबों पर अत्त्याचार किया जाता है और पुलिस उनकी एफ आई आर भी नहीं लिखती है और पुलिस द्वारा गरीबों का शोषण किया जाता है तो ऐसे मामलों में पीयूष पंडित गरीबों की आवाज बनकर प्रशासन के सामने खड़े हो जाते हैं और न्याय मिलने तक लड़ाई जारी रखते हैं। 
ऐसे मामले जहां निर्ममता की सारी हदें पार कर दी जाती हैं वहां पीयूष पंडित मोर्चा खोल कर रखते हैं और अपराधियों को दंड मिलने तक प्रशासन से संघर्ष करते रहते हैं। 
पीयूष पंडित जी सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध हैं उनका मानना है कि देश में जातिगत आधार पर भेदभाव बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए। उनका कहना है कि आरक्षण जातिगत आधार पर न हो कर आर्थिक आधार पर होना चाहिए जिससे कि आरक्षण उचित ब्यक्ति को मिल सके।
पीयूष पंडित जी के जीवन का लक्ष्य एक स्वर्णिम भारत बनाना है जहाँ जातिगत भेदभाव न हो, जहां गरीबों पर जुर्म न हो , जहां हर किसी को सच्चा न्याय मिले , जहां कोई भूखा न सोये , जहाँ हर किसी को बराबर का सम्मान मिले , जहां हर युवा को काम मिले जहाँ सभी वातावरण के प्रति जागरूक रहे। 


ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले पीयूष पंडित किसानों की पीड़ा को भलीभांति समझते हैं तथा उनके कष्ट दूर करने की काबिलियत भी रखते हैं परंतु सत्ता का साथ न मिलने से उनके प्रयास महज प्रयास रह जाते हैं।
पीयूष पंडित जी का ब्यक्तित्व बहुत ही महान है वो बड़ो का सम्मान बुजुर्गों की सेवा और अपने माता पिता की सेवा खुद भी करते हैं और सभी को अपने माता पिता की सेवा करने की सलाह भी देते हैं। अग्रज का सम्मान और अनुज से प्रेम का ब्यवहार करने वाले पीयूष पंडित जी शृष्टाचार के लिए युवाओं के लिए आदर्श हैं। महिलाओं का सम्मान करना और महिलाओं की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहना एक आदर्श पुरुष का धर्म है और यही असली पुरुसार्थ है । ऐसे विचारों वाले पंडित जी का राज्यसभा पहुँचना देश के लिए अत्यंत आवश्यक है।
ऐसे समय में जब बीजेपी सरकार ने सारंगी जी को मंत्री बनाकर सामाजिक कार्य करने वाले लोगों को उत्साहित करने का कार्य किया है, उत्तर प्रदेश के युवाओं की एक ही मांग है की सरकार पीयूष पंडित जी को राज्यसभा भेजे ताकि गरीबों की आवाज उठाने वाला कोई ब्यक्ति संसद में पहुंचे। और मेरा ये मानना है कि ऐसे लोगों की सही जगह राज्यसभा में ही है।


पीयूष पंडित जी देश की गंभीर समस्याओं को लेकर एक क्रांतिकारी परिवर्तन के लिए संघर्षरत हैं। वो देश को आगे बढ़ाने के लिए प्रत्येक क्षेत्र में काम कर रहे हैं। और अगर ऐसा ब्यक्तित्व राज्यसभा के अंदर होगा तो उससे न केवल संसद की सुंदरता बढ़ेगी अपितु लोकतंत्र को भी मजबूती मिलेगी।

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