Saturday, 7 September 2019

Peeyush Pandit, Social Worker views & Awareness on Malnutrition

*जागरूकता व शुरुवाती पोषक तत्व ही बचा सकता है कुपोषण से : पीयूष पण्डित*

नई दिल्ली : स्वर्ण भारत परिवार द्वारा संचालित कुपोषण मुक्त भारत कार्यक्रम में बोलते हुए स्वर्ण भारत के राष्ट्रीय अध्यक्ष पीयूष पण्डित ने कहा गर्भवती महिलाओं को पोषक तत्व खिलाने पर जोर देते हुए उन बच्चो की तरफ इशारा किया जो बार-बार बीमार पड़ जाते हैं, जल्दी थक जाते हैं, धीमी गति से चीज़ों को समझते हैं, वे कुपोषण से ग्रस्त हो सकते हैं। बच्चे के जन्म से लेकर 2 साल की आयु तक उसके कुपोषण से ग्रस्त होने की सम्भावना अधिक होती है। यह बच्चे के समग्र दीर्घकालिक विकास के लिए महत्वपूर्ण समय होता है। कुपोषण की शुरूआत जन्म से पहले ही हो जाती है, आमतौर पर यह किशारोवस्था में, इसके बाद व्यस्क जीवन में और आने वाली पीढि़यों में भी जारी रह सकता है। अक्सर इसे ठीक करना सम्भव नहीं होता। ये अपरिवर्तनीय लक्षण जो जच्चा-बच्चा के स्वास्थ्य एवं जीवन की गुणवत्ता पर बुरा प्रभाव डालते हैं, इन्हें रोकने के लिए जल्द से जल्द इस कुपोषण को रोकना ज़रूरी है।

जैसे एक मरा हुआ पौधा उचित देखभाल, पोषण जैसे मिट्टी, पानी, ताज़ा हवा और धूप के बिना हरे-भरे पेड़ में विकसित नहीं हो सकता, उसी तरह एक बच्चा उचित देखभाल और पोषण के बिना स्वस्थ व्यस्क के रूप में विकसित नहीं हो सकता।

एक बार बन जाने के बाद जिस तरह से खराब बने मिट्टी के घड़े को दुबारा ठीक नहीं किया जा सकता, उसी तरह जो बच्चे अपने जीवन की शुरूआती अवस्था में कुपोषण का शिकार हो जाते हैं, उन्हें पूरी तरह से स्वस्थ नहीं बनाया जा सकता
*इस मौके पर पीयूष पण्डित ने प्रिया बजाज न्यूट्रीशियन एक्सपर्ट की सराहना करते हुए कहा कि उनके द्वारा चलाये जा रहे कार्यक्रमो से आम जनमानस में आम स्वास्थ्य व पोषक तत्वो के सही उपयोग की जानकारी देती आ रही हैं जिसके लिए व बधाई की पात्र हैं जल्दी ही उनको इस कार्य हेतु इंस्पायरिंग वूमेन अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा*


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