Tuesday, 22 January 2019

Save the Country, Eradicate Reservation says Peeyush Pandit

आरक्षण हटाओ देश बचाओ : पीयूष पंडित


जातिगत आरक्षण की नीति के कारण दिन प्रतिदिन देश विकास की राह पर पीछे होता जा रहा है , देश के विभिन्न वर्गों के मध्य भेदभाव और वैमनस्य बढ़ रहा है । यूं तो भारत का संविधान जाति , धर्म , लिंग ,भाषा के आधार पर किसी भी प्रकार का भेद नहीं करता लेकिन आज वो सब कुछ हो रहा है जो नहीं होना चाहिए । जाति, धर्म , लिंग भाषा के आधार पर ही राजनीति में मंजे हुये लोग आदमी आदमी के बीच महिला – महिला के बीच फूट डालने का काम कर रहे हैं । फिर बात चाहे दंगे भड़काने के आरोपों की हो , चुनाव के रण की हो , या आरक्षण की संविधान का निर्माण करते समय आरक्षण का प्रावधान रखने वाले बाबा साहब अंबेडकर ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि जिन पिछड़े लोगों को मुख्य धारा में लाने के लिए 10 वर्ष के आरक्षण का संकल्प लिया था उसे आजीवन जारी रख ये चतुर नेता उसी के इर्द गिर्द राजनीति करेंगे । 

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आज आरक्षण एक प्रिव्लेज है , जो आरक्षण कि मलाई खा रहे हैं वो इस दायरे से बाहर नहीं निकलना चाहते और जो आरक्षण के दायरे में नहीं आते वे इस दायरे में आने के लिए गृह युद्ध कि स्थिति निर्मित करने पर उतारू है , जिससे देश कि अर्थव्यवस्था को गंभीर रूप से क्षति पहुँच रही है । आज आरक्षण प्रपट एक आभिजात्य वर्ग है जिसमे सांसद , विधायक , आईएएस , डॉक्टर , इंजीनियर , एवं प्रशासनिक अधिकारियों कि लंबी फौज है । वास्तव में जिन्हे आरक्षण कि अवश्यकता है यह उन तक नहीं पहुँच रहा है ।

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आज एक तथ्य पर सबसे अधिक विचार करने कि आवश्यकता है कि केवल जाति आरक्षण का आधार कैसे हो सकती है ? पिछड़ापन क्या जातिगत है ? क्या सामान्य वर्ग को भारत में समानता से जीने का अधिकार नहीं है ? क्या ये भारत के नागरिक नहीं हैं ? क्या इनके हितों कि रक्षा सरकार का दायित्व नहीं है ? क्या जाति और वर्ग संघर्ष का सरकार इंतजार कर रही है ? और यदि ऐसा नहीं है ! राजनेता देश के हित के बारे में सोचते हैं तो फिर क्यों सभी राजनीतिक पार्टियां जाति रहित आरक्षण पर एकजुट नहीं होती ?

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वस्तुतः सत्य यह है कि जाति गत आरक्षण के माध्यम से देश में समाज में विद्वेष फैलाने का काम किया जा रहा है । यह स्थिति न तो समाज के लिए शुभता का संकेत है और न ही सरकारों के लिए । आज देश को जाति के आधार पर आरक्षण की बैसाखी देकर उनकी प्रतिभा को निखरने से रोकने की आवश्यकता नहीं बल्कि सभी को भोजन , आवास , स्वास्थ्य सेवाएँ और रोजगार की सुविधा समान रूप से देकर सबल रूप से आगे बढ्ने देने की आवश्यकता है । आरक्षण देकर किसी वर्ग को पंगु बनाने कि या और किसी के पैरों में बेड़ियाँ डालने की आवश्यकता नहीं है । 

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पीयूष पण्डित 
राष्ट्रीय अध्यक्ष 
स्वर्ण भारत परिवार

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