दुनिया में सिर्फ सनातन धर्मी ही वो महान लोग हैं। जो कभी कट्टर नही हुए। स्मृतियों, ऋचाओं, ग्रँथों, पुराणों में लिखी जो बात उन्हें अच्छी लगी अपना लिया। जो बात समय और परिस्थितियों के अनुकूल नही थी। उसे समय-समय निकालते रहें। क्या ऐसा अन्य धर्म के लोग करते हैं..?? कभी नही। मान्यताएं..आडम्बर कितने भी बुरे क्यों न हों.. उनके धर्म उत्तपत्ति से ही चले आ रहे हैं।
लेकिन क्या मजाल की कोई उनके धर्म.. उनकी मान्यताओं और रीति रिवाज पर उंगली उठा सके। क्या मजाल की उनके विश्वास और आस्था पर आधारित उनके धर्म ग्रँथ पर कोई आंख उठा के देख भी सकें। नही कर सकते ऐसा। क्योंकि उन्हें पता है उनकी आंखें नोचकर चील-कौवों को डाल दी जाएंगी। लेकिन हमने तो सहिष्णुता का ठेका ले रखा है। तो जिसका भी मन करे आओ और हमें अपमानित करके चले जाओ..
लेकिन क्या मजाल की कोई उनके धर्म.. उनकी मान्यताओं और रीति रिवाज पर उंगली उठा सके। क्या मजाल की उनके विश्वास और आस्था पर आधारित उनके धर्म ग्रँथ पर कोई आंख उठा के देख भी सकें। नही कर सकते ऐसा। क्योंकि उन्हें पता है उनकी आंखें नोचकर चील-कौवों को डाल दी जाएंगी। लेकिन हमने तो सहिष्णुता का ठेका ले रखा है। तो जिसका भी मन करे आओ और हमें अपमानित करके चले जाओ..
No comments:
Post a Comment