Friday 14 August 2020

राष्ट्र की आज़ादी के बाद अगली लड़ाई आर्थिक आज़ादी की : पीयूष पण्डित


स्वर्ण भारत परिवार ने आज़ादी की पूर्व संध्या पर आयोजित कार्यक्रम में आर्थिक आज़ादी व समानता के मुद्दों पर चर्चा की जिसमे राष्ट्रीय प्रवक्ता संतोष पांडेय सहित, डॉक्टर सीमा मिश्र , अजिता सिंह, रंजीत पांडेय, नीरज पांडेय , मनीष पटेल , विपिन जायसवाल, गगनदीप त्रिपाठी, अंजू पंडित व सभी जिलाध्यक्षों ने ऑनलाइन कार्यक्रम से जुड़े इस मौके पर ऑस्ट्रिलिया से संरक्षक रोशनी लाल ने कहा आर्थिक असमानता बढ़ने की वजह से भारत में राजनीतिक पार्टियों, न्यायालयों, विश्वविद्यालयों, मीडिया समेत तमाम संस्थाओं पर कुछेक परिवारों का कब्जा होता चला जा रहा है. इससे जनता का लोकतंत्र पर भरोसा कम हो रहा है.पीयूष पण्डित ने स्विटजरलैंड के दावोस में आयोजित होने वाली वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की सालाना बैठक में इस बार भी दुनियाभर में बढ़ रही आर्थिक असमानता पर गंभीर चर्चा हुई. लेकिन इस बार की बैठक की एक खास बात यह रही कि इसमें भारत में आर्थिक असमानता पर विशेष चर्चा हुई.

आर्थिक असमानता का अध्ययन करने वाली संस्था, ऑक्सफैम इंटरनेशनल की कार्यकारी निदेशक विनी बेयानिमा ने इस बैठक में अपने संस्थान की सालाना रिपोर्ट ‘पब्लिक गुड, प्राइवेट वेल्थ’ के आधार पर बताया कि किस तरह भारत में असमानता अपने चरम पर पहुंचती जा रही है. यहां एक तरफ गरीब अपने लिए दो बार की रोटी और बच्चों के लिए आवश्यक दवाओं तक का इंतजाम नहीं कर पा रहे हैं, वहीं कुछ अमीरों की संपत्ति में बेहताशा वृद्धि हो रही है.

विनी बेयानिमा ने अपने भाषण में यह तक कह डाला कि ‘अगर भारत सरकार ने समय रहते देश के एक प्रतिशत अमीरों और नीचे के 50 प्रतिशत गरीबों के बीच बढ़ रही आर्थिक असमानता की खाई को कम करने के लिए कदम नहीं उठाए तो भारत का सामाजिक और राजनीतिक ढांचा चरमरा जाएगा.

सामाजिक सन्दर्भों में समानता (equality) का अर्थ किसी समाज की उस स्थिति से है जिसमें उस समाज के सभी लोग समान (अलग-अलग नहीं) अधिकार या प्रतिष्ठा (status) रखते हैं। सामाजिक समानता के लिए 'कानून के सामने समान अधिकार' एक न्यूनतम आवश्यकता है जिसके अन्तर्गत सुरक्षा, मतदान का अधिकार, भाषण की स्वतंत्रता, एकत्र होने की स्वतंत्रता, सम्पत्ति अधिकार, सामाजिक वस्तुओं एवं सेवाओं पर समान पहुँच (access) आदि आते हैं। सामाजिक समानता में स्वास्थ्य समानता, आर्थिक समानता, तथा अन्य सामाजिक सुरक्षा भी आतीं हैं। इसके अलावा समान अवसर तथा समान दायित्व भी इसके अन्तर्गत आता है। 5 अगस्त 1947 की मध्यरात्रि को पंडित जवाहर लाल नेहरू ने अपने भाषण 'ट्रिस्ट वीद डेस्टिनी' के साथ ब्रिटिश शासन से भारत की आजादी की घोषणा की। और 15 अगस्स्त को राष्ट्रीय अवकाश भी घोषित किया गया। तब से हर साल 15 अगस्त को भारत का स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष 15 अगस्त 2020 को भारत अपना 74वां स्वतंत्रता दिवस 2020 मना रहा है। पूरी दुनिया में कोरोनावायरस महामारी का प्रकोप लगातार जारी है, जिसकी वजह से देश पर आर्थिक संकट भी है। इसलिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस 2020 की थीम 'आत्मनिर्भर भारत-स्वतंत्र भारत रखी है। इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी का भाषण ऑनलाइन प्रसारित किया जाएगा, पीएम मोदी दिल्ली के लाल किले पर केवल झंडा फहराने के लिए जाएंगे। 14 अगस्त को रात्री में भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद देश के नाम संबोधन में स्वतंत्रता दिवस पर भाषण देंगे। 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस पर भाषण, स्वतंत्रता दिवस पर निबंध और स्वतंत्रता दिवस पर लेख लिखे और पढ़े जाते हैं। स्वतंत्रता दिवस पर भाषण प्रतियोगिता, स्वतंत्रता दिवस पर निबंध प्रतियोगिता, स्वतंत्रता दिवस पर लेख प्रतियोगिता और स्वतंत्रता दिवस पर कविता प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती है युवाओं को आज़ादी का महत्व समझाते हुए स्वर्ण भारत परिवार के राष्ट्रीय अध्यक्ष पीयूष पण्डित ने कहा कि दरअसल, जब धन और संपत्ति अत्यधिक मात्रा में कुछेक व्यक्तियों के पास एकत्रित हो जाती है, तो उनकी आने वाली पीढ़ियां आमदनी के लिए, उस संपत्ति पर मिलने वाले किराया ब्याज पर निर्भर हो जाती है, जिससे वो कोई नया इन्वेस्टमेंट नहीं करतीं. जब इन्वेस्टमेंट नहीं होगा, तो नयी नौकरियां नहीं पैदा होंगी और बेरोजगारी बढ़ेगी. बेरोजगारी बढ़ने के सैकड़ों दुष्प्रभाव हैं. इस तरह की अर्थव्यवस्था को किराए की अर्थव्यवस्था कहा जा रहा है, जहां लोग अपने मेहनत की बदौलत नहीं, अपने पूर्वजों की संपत्ति की बदौलत अमीर बन रहे हैं. शहरों में जिन लोगों के पास किन्हीं कारणों से ज़मीनें हैं, वो भी इसी तरह अमीर बनते जा रहे हैं.

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