महावीर स्वामी का जन्म 599 ईसवी पूर्व बिहार में लिच्छिवी वंश के महाराज सिद्धार्थ और महारानी त्रिशला के घर तीर्थंकर महावीर का जन्म हुआ। उनके बचपन का नाम वर्धमान था। महावीर स्वामी के दिखाए मार्ग पर चलने वाले जैन कहलाते हैं, जैन का तात्पर्य ही है जिन के अनुयायी। भगवान महावीर ने पांच सिद्धांत बताए, जो समृद्ध जीवन और आंतरिक शांति की ओर ले जाते हैं। यह सिद्धांत हैं- अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह। यहां पढ़ें महावीर स्वामी के कुछ विचार:
हर एक जीवित प्राणी के प्रति दया रखो. घृणा से विनाश होता है
सभी मनुष्य अपने स्वयं के दोष की वजह से दुखी होते हैं , और वे खुद अपनी गलती सुधार कर प्रसन्न हो सकते हैं।
आत्मा अकेले आती है अकेले चली जाती है , न कोई उसका साथ देता है न कोई उसका मित्र बनता है।
जिस प्रकार धागे से बंधी (ससुत्र) सुई खो जाने से सुरक्षित है, उसी प्रकार स्व-अध्ययन (ससुत्र) में लगा व्यक्ति खो नहीं सकता है।
जो सत्य जानने में मदद कर सके, चंचल मन को नियंत्रित कर सके, और आत्मा को शुद्ध कर सके उसे ज्ञान कहते हैं।
*इस शुभ अवसर पर स्वर्ण भारत परिवार ने जैन धर्म के अनुयायियों को राष्ट्र निर्माण में अपनी अहम भूमिका के निर्वाहन में योगदान देने को कहा* ।
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