Friday, 2 October 2020

स्वर्ण भारत परिवार ने दिया विश्व को शांति का संदेश, 51 विशिष्ट व्यक्तियों को मिला ग्लोबल गाँधी पीस अवार्ड कार्यक्रम में सहआयोजक की भूमिका में रहे, दिशा फॉउंडेशशन व उदयकौशल फॉउंडेशन


 महात्मा गांधी के 151 वें जन्मदिवस के उपलक्ष्य में आज स्वर्ण भारत परिवार, दिशा फाउण्डेशन और उदय कौशल संस्थान के संयुक्त तत्वावधान मे एक दिवसीय "इंटरनेशनल यूथ डेवलपमेन्ट और  ग्लोबल गांधी पीस कॉन्फ्रेंस व अवार्ड्स 2020" का आयोजन किया गया  जहां 30 से अधिक देशों के युवा प्रतिनिधि शामिल हुए ,  जिसमें अमरीका , ऑस्ट्रेलिया , घाना , केमरून नेपाल श्रीलंका सहित 30 से अधिक देशों के प्रतिनिधि भाग लिए, करीब 21 व्यक्तियों का चयन नेशनल पीस डेलीगेट के रूप में किया गया  , साथ ही देश के 51 लोगो को ग्लोबल गाँधी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 

मीडिया को जानकारी देते हुए स्वर्ण भारत परिवार के राष्ट्रीय अध्यक्ष पीयूष पण्डित के अनुसार इस कांफ्रेंस में 30 देशों के 150 युवा शामिल हुए ।  30 युवाओं को नेक्सट जेन स्पीकर का पद दिया गया जिन्होंने अंतराष्ट्रीय स्तर पर शांति कायम करने के लिए चलाये जा रहे प्रयासों पर विस्तार से चर्चा की एवं विश्व के 21 देशों के युवाओं को ग्लोबल पीस एम्बेस्डर का पद दिया गया जो पूरे विश्व को शांति का संदेश देंगे तथा व्यक्तिगत स्तर पर शांति स्थापित करने हेतु दिन रात एक करने वाले 51 व्यक्तियों को ग्लोबल गांधी पीस सम्मान 2020 से सम्मानित किया गया  । यह आयोजन स्वर्ण भारत परिवार, दिशा फ़ाउंडेशन, उदय कौशल फाउंडेशन के सहयोग से ऑनलाइन वेबिनार द्वारा आयोजित किया गया ।  इस कॉन्फ्रेंस का ऑनलाइन प्रसारण भारत सहित नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश, अमेरिका, भूटान, अफ़ग़ानिस्तान ऑस्ट्रेलिया, कैमरून, नाइजीरिया, घाना, दुबई,आदि देशों में हुआ । भारतीय चयन समिति में उदय चन्द बारूपाल पूर्व सेशन जज, डॉ राधा वाल्मीकि, पूनम खँगारोत, कंचन शर्मा,अनीता देवी, शामिल रहे । 
पीयूष पंडित जी ने  2 अक्टूबर गाँधी जयंती को युवाओं को समर्पित किया है ताकि युवाओं को एक नई दिशा और प्रेरणा मिल सके और उनमें एक नए उत्साह का संचार हो। ऐसे मे पीयूष पंडित जैसे ही जागरूक युवाओं को भी विभिन्न समस्याओं से निजात पाने की मुहिम में आगे आना होगा उनमें सकारात्मक सोच विकसित करनी होगी।इसी लिए स्वर्ण भारत परिवार द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर युवाओं को सम्मानित कर उनकी समस्याओं पर मंथन करने के लिए ही गूगल मीट पर पुरस्कारों के साथ वैश्विक शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया जिसमें कई देशों के प्रतिनिधियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। 
दिशा फाउंडेशन की चेयरपर्सन वंदना शुक्ला ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा ग्लोबल गांधी शांति पुरस्कार यादगार बना है । वंदना शुक्ला जी ने बताया कि 2 अक्टूबर को विश्वशान्ति के अग्रदूत राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की जयन्ती है और इस अवसर पर  स्वर्ण भारत परिवार के साथ मिलकर  अंतर्राष्ट्रीय युवा विकास पर शिखर सम्मेलन  का आयोजन करना एवं विश्व के कोने-कोने से युवाओं के विकास के लिए  एवं विश्व शांति के लिए कार्य कर रहे युवाओं को गूगल मीट पर ग्लोबल गांधी पीस पुरस्कार से सम्मानित करना  अत्यंत ही गौरव कि बात है। 
उदय कौशल संस्थान के अध्यक्ष पूर्व सेशन जज उदयलाल बारूपाल जी ने बताया कि कोरोना महामारी के चलते इस कार्यक्रम का आयोजन गूगल मीट के माध्यम से ऑनलाइन किया गया, परंतु देश मे ये पहला अवसर है जबकि सम्मानित होने वाले प्रत्येक प्रतिभागी को सेर्टिफिकेट डाक के माध्यम से भेजे जाएंगे, इसमे गाँधी जी का स्मृति चिन्ह, सेर्टिफिकेट की कॉपी और स्वर्ण भारत परिवार के मास्क होंगे। 

वर्तमान समय मे बालिकाओ पर हो रहे अत्याचार को गंभीरता पूर्वक लेते हुए स्वर्ण भारत परिवार कि ऑस्ट्रेलिया मे रह रही ट्रस्टी  रोशनी लाल जी  ने बालिका शिक्षा एवं आत्म रक्षा के संबंध मे अपने विचार रखे, उन्होने बताया कि अगर हम युवा विकास कि बात करते हैं तो बालिका शिक्षा एवं सशक्तिकरण कि बात करना  बहुत जरूरी है , आज जिस तरह से बच्चियां ज्यादती का शिकार हो रही है उनके लिए आत्म रक्षा मे निपुण होना अत्यंत आवश्यक है, और अगर लड़कियां आर्थिक रूप से सक्षम होंगी तो वो अपने खिलाफ होने वाले हर तरह के अत्याचार के खिलाफ आवाज उठा सकती हैं। 
स्वर्ण भारत परिवार की महिला अध्यक्षा श्रीमती अंजू पंडित,पुरस्कार चयन समिति की अध्यक्षा  डॉ राधा वाल्मीकि,सदस्य कंचन शर्मा, अनिता देवी व राजस्थान प्रदेश मुखिया पूनम खँगारोत जी ने भी अपने विचार सेमिनार में रखे । राष्ट्र के विकास में युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है,  युवा शक्ति हर युग में और हर समाज में सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती हैं आर्थिक विकास में यह एक वरदान है।भारत में युवा शक्ति की आबादी को सही दिशा व राष्ट्र निर्माण में  सकारात्मक योगदान हेतु कैसे मोड़ा जाए? यह एक ज्वलन्त और विचारणीय प्रश्न है। एक युवा में बढ़ती आयु के साथ-साथ नया रक्त संचार नया जोश,साहस और बढ़ती महत्वाकांक्षाऐं प्रबल होतीं हैं ऐसे में इनमें सकारात्मक सोच उत्पन्न कर सही मार्गदर्शन द्वारा यदि सही दिशानोन्मुख कर दिया जाय तो उनकी ऊर्जा मानव विकास और राष्ट्र कल्याण में लगाई जा सकती है।परन्तु आज एक बड़ा युवा वर्ग अवसादग्रस्त  होकर डिप्रेशन का शिकार हो रहा हैं। पढ़ाई का बोझ, गलत संगति,बेरोजगारी, प्रेम में विफलता, जिम्मेदारियों का बोझ, आर्थिक तंगी,शारीरिक बीमारियां,अचानक आ जाने वाली परेशानियां,प्रिय जनों से बिछड़ना अपराध आदि यह युवा जीवन की गंभीर समस्याएं बन चुकी है जिनका सामना करते करते वह परेशानियों के आगे घुटने टेक देता है और मानसिक विकारों का शिकार होकर या तो आत्महत्या कर लेता है या डिप्रेशन में जाकर नशे का आदी हो जाता है,उसकी सोचने समझने की क्षमता प्रभावित होने लगती है या फिर उसे कदम अपराध जगत की ओर बढ़ने लगते हैं। ऐसे समय में डिप्रेशन के शिकार इन युवाओं को उनकी पीड़ा को समझना बहुत जरूरी है।
आज का युवा आभासी दुनिया में भी जीने लगा है आज वह सोशल मीडिया इंटरनेट इत्यादि में उलझ कर अपने वास्तविक संसार से अलग हो गया है और अपनी नई दुनिया में जी रहा है ऐसे में स्वर्ण भारत परिवार और पीयूष पंडित एक नई सोच लेकर इनमें ऊर्जा का संचार कर रहे हैं।स्वर्ण भारत परिवार के अध्यक्ष पीयूष पंडित ने जिस तरह से अपनी विपरीत परिस्थितियों में संघर्ष करते हुए आज भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में अपना एक मुकाम हासिल कर मिसाल कायम की है वह अनुकरणीय है। उनकी सोच इन युवाओं को आगे बढ़ाने की है और इसी सोच को ध्यान में रखते हुए पीयूष पंडित जी समय-समय पर देश में कुछ न कुछ नए कार्य करते रहते हैं ।

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