इंडोनेशिया किसी समय में भारत का ही एक सम्पन्न राज्य था। समय के
साथ-साथ भारत के टुकड़े होते चले गये जिससे भारत की संस्कृति का अलग-अलग जगहों में
बटवारा हो गया। लेकिन यहाँ के देशों में आज भी हिन्दुस्तान की सभ्यता और संस्कृति देखने
को मिलती है। इंडोनेशिया में बाली
द्वीप को छोड़कर बाक़ी सभी द्वीपों पर मुस्लिम बहुसंख्यक हैं। फिर भी हिन्दू देवी-देवताओं
से यहाँ का जनमानस आज भी परंपराओं के माध्यम से जुड़ा है। जिसमे इंडोनेशिया के प्रसिद्ध
सांस्कृतिक शहर योग्यकर्ता में स्थित भगवान
शिव का प्रम्बानन मंदिर भी शामिल है। इस प्राचीन मंदिर के साथ एक कथा भी जुड़ी है।
(जिसका समय समय मंचन किया जाता है।) कहा जाता है कि एक समय पर जावा के प्रबु बका नामक
दैत्य राजा की एक बहुत ही सुंदर रोरो जोंग्गरंग नामक बेटी थी। बांडुंग बोन्दोवोसो नाम
का एक व्यक्ति राजा की बेटी से शादी करना चाहता था। बोन्दोवोसो के शादी के प्रस्ताव
को मना करने के लिए रोरो ने उसके आगे एक ही रात में एक हजार मूर्तियां बनाने की शर्त
रखी। शर्त पूरा करने के लिए बोन्दोवोसो ने एक ही रात में 999 मूर्तियां बना दी और वह
आखिरी मूर्ति बनाने जा ही रहा था तभी रोरो ने पूरे शहर के चावल के खेतों में आग लगवा
कर दिन के समान उजाला कर दिया। धोखा खा कर बोन्दोवोसो आखिरी मूर्ति नहीं बना पाया और
शर्त हार गया। बाद में जब बोन्दोवोसो को सच्चाई का पता चला, वह बहुत गुस्सा हो गया
और उसने रोरो को आखिरी मूर्ति बन जाने का श्राप दे दिया। प्रम्बानन मंदिर में रोरो
की उसी मूर्ति को देवी दुर्गा मान कर पूजा जाता है। इस मंदिर की कथा रोरो जोंग्गरंग
से जुड़ी होने की वजह से यहां के स्थानीय लोग इस मंदिर को रोरो जोंग्गरंग मंदिर के
नाम से भी पुकारते हैं।
हिंदू लोगों के लिए प्रम्बानन मंदिर आस्था का केंद्र है। प्रम्बानन
मंदिर इतना सुंदर है कि यहाँ की बनावट किसी को भी अपने मोहपाश में बांध लेगी। मंदिर
की दीवारों पर रामायण काल के चित्र भी अंकित हैं। ऐसा लगता है मानो ये चित्र रामायण
की गाथा सुना रहे हों।
प्रम्बानन मंदिर में मुख्य रूप से ब्रह्मा, विष्णु और महेश के अलग-
अलग मंदिर स्थापित हैं। तीनों देवों की प्रतिमाओं के मुख पूर्व दिशा में हैं। प्रत्येक
प्रधान मंदिर के सम्मुख पश्चिम दिशा में उसी देव से संबंधित एक मंदिर स्थापित है। यह
मंदिर तीनों देवों के वाहनों को समर्पित हैं। ब्रह्मा मंदिर के सामने हंस, विष्णु मंदिर
के सामने गरूड़ और शिव मंदिर के सामने नन्दीश्वर का मंदिर है। इसके अतिरिक्त मंदिर
परिसर में और भी बहुत सारे मंदिर बने हुए हैं।
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