दो हज़ार गांवों में बाल विवाह रोकने में अब तक सफल
बाल विवाह एक सामाजिक बुराई है। इसकी रोकथाम के लिए सभी को मिलकर कार्य करना होगा, तभी समाज इस बीमारी से मुक्त हो सकेगा। यह बात स्वर्ण भारत परिवार के अध्यक्ष पीयूष पण्डित ने अपने ई विलेज प्रवास के दौरान कही उत्तरप्रदेश सरकार के निर्देशों के तहत बाल विवाह व अन्य कुरीतियों को रोकने के लिए दो हज़ार गावों को तैयार कर दिया है होली मिलन पर आयोजित सभा में संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि बाल विवाह रोकने के लिए सभी विभागों के साथ-साथ आमजन को सजगता से अपने कर्तव्यों का निर्वाह करना होगा। इसके लिए वार्ड स्तर पर टीमें गठित करनी चाहिए। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 को एक नवम्बर 2007 से लागू किया गया। इसमें बाल विवाह करना या करवाना संज्ञेय और गैर जमानती अपराध है।
जो माता-पिता अपने पुत्र पुत्रियों का बाल विवाह करवाते है तो उन्हें 2 वर्ष का कारावास व 1 लाख रुपयों का दंड देने का प्रावधान है। स्वर्ण भारत ने बताया कि बाल विवाह की रोकथाम के लिए सीडीपीओ कार्यालय की महिला पर्यवेक्षक सहित स्वास्थ्य विभाग की कार्यकर्ता बहुत अच्छे ढंग से कार्य कर सकती है। कम उम्र की कन्याओं का विवाह होने या करवाने से बालिकाओं के स्वास्थ्य पर सीधा असर पड़ता है।
बाल विवाह कानूनी जुर्म और अपराध है
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