Wednesday, 14 April 2021

बाबा साहब द्वारा लिखित संविधान को घर घर पहुँचाने की जरूरत : पीयूष पण्डित

गृहजनपद पहुंचकर मनाई जयंती और उठाई जाति व्यवस्था खत्म करने की आवाज
देशभर में आज संविधान के निर्माता बाबा साहेब बीआर अंबेडकर की जयंती मनाई जा रही है. 31 मार्च 1990 को उन्हें मरणोपरांत सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था. उन्होंने ना सिर्फ आजादी की लड़ाई में ना सिर्फ एक अहम भूमिका निभाई बल्कि सम्पूर्ण राष्ट्र के लिए संविधान निर्माण की भी जिम्मेदारी उठाई. हर साल उनकी जयंती को धूमधाम से सेलिब्रेट किया जाता है. इस मौके पर पीयूष पण्डित ने उनकी प्रतिमा पर माल्यर्पण करके श्रद्धांजलि दी ।

14 अप्रैल 1891 में जन्मे बाबा साहेब की इस साल 130वीं जयंती मनाई जा रही है. आपको बता दें, डॉ. बीआर अंबेडकर की जयंती के दिन सार्वजनिक अवकाश भी घोषित किया गया है. उन्होंने देश से जाति प्रथा और समाज में कुव्यवस्था को खत्म करने में अहम भूमिका निभाई थी. उनका मानना था कि सभी जाति के लोगों को एक जैसा अधिकार मिलना चाहिए ताकि आगे चलकर किसी भी प्रकार भेदभाव ना हो. उन्होंने अपने जीवन काल में कई महत्वपूर्ण आंदोलनों में भी हिस्सा लिया. एक दलित परिवार से आने वाले बीआर अंबेडकर ने अपने जीवन में बहुत यातनाएं झेलीं लेकिन कभी किसी कमजोर का साथ नहीं छोड़ा. यही वजह है कि वे आज भी लोगों के दिलों में जिंदा हैं. उन्हें आज भी उतने ही आदर और सम्मान के साथ याद किया जाता है.

लोगों को किया जाता है जागरूक

देश के साथ साथ विदेशों में भी उनकी जन्म जयंती को उत्सव के रूप में मनाया जाता है. इसी दिन बाबासाहेब के कामों के बारे में लोगों को बताया जाता है. इतना ही नहीं, जगह-जगह कार्यक्रमों का आयोजन कर समाज में वयाप्त बुराइयों को खत्म करने की भी अपील की जाती है. जगह जगह नुक्कड़ नाटक के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जाता है. इसके अलावा, वाद विवाद और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है.

1 comment:

  1. संविधान निर्माता को नमन जय स्वर्ण भारत जो ऐसे निर्माता का वंदन कर रहे हैं

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