Sunday 9 May 2021

युवाओं को आत्मसम्मान से जीना सिखाती है महाराणा प्रताप की जीवनी :पीयूष पण्डित

भारत के महान राजाओं में से एक महाराणा प्रताप के जीवन का काफी प्रभाव है मुझपर यह बातें स्वर्ण भारत परिवार के राष्ट्रीय अध्यक्ष महाराणा प्रताप के जन्मदिन पर कही , मेवाड़ के महान हिंदू शासक महाराणा प्रताप की आज की आज जयंती है. उनका जन्म 9 मई 1540 को हुआ था. सोलहवीं शताब्दी के राजपूत शासकों में महाराणा प्रताप ऐसे शासक थे, जो अकबर को लगातार टक्कर देते रहे. आइए जानते हैं उनके बारे में कुछ दिलचस्प बातें....
- महाराणा प्रताप का जन्म राजस्थान के कुम्भलगढ़ में 9 मई, 1540 ई. को हुआ था. महाराणा प्रताप और मुगल बादशाह अकबर के बीच लड़ा गया हल्दीघाटी का युद्ध काफी चर्चित है. क्योंकि अकबर और महाराणा प्रताप के बीच यह युद्ध महाभारत युद्ध की तरह विनाशकारी सिद्ध हुआ था. आपको बता दें कि यह जंग 18 जून साल 1576 में चार घंटों के लिए चली थी.

- आपको बता दें हल्दी घाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप के पास सिर्फ 20000 सैनिक थे और अकबर के पास 85000 सैनिक. इसके बावजूद महाराणा प्रताप ने हार नहीं मानी और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करते रहे.

-  बता दें, महाराणा प्रताप का भाले का वजन  81 किलो का था. वही जो उन्होंने छाती पर  कवच पहना था उसका वजन 72 किलो का था. दो तलवारों का वजन मिलाकर 208 किलो था.

- महाराणा प्रताप के पास एक घोड़ा था जो उन्हें सबसे प्रिय था. जिसका नाम चेतक था. बता दें,. उनका घोड़ा चेतक भी काफी बहादुर था.

जानें- क्या है हल्दीघाटी युद्ध

यह मध्यकालीन इतिहास का सबसे चर्चित युद्ध है, जिसमें मेवाड़ के राणा महाराणा प्रताप और मानसिंह के नेतृत्व वाली अकबर की विशाल सेना का आमना-सामना हुआ था.  ये युद्ध 18 जून 1576 में लड़ा गया था.

चार घंटे चला था युद्ध

आज भी इस बात पर लगातार बहस होती रही है कि इस युद्ध में अकबर की जीत हुई या महाराणा प्रताप ने जीत हासिल की? इस मुद्दे को लेकर कई तथ्य और रिसर्च सामने भी आए हैं. कहा जाता है कि लड़ाई में कुछ भी निष्कर्ष नहीं निकला था. हालांकि आपको बता दें कि यह जंग 18 जून साल 1576 में चार घंटों के लिए चली थी. इस पूरे युद्ध में राजपूतों की सेना मुगलों पर बीस पड़ रही थी और उनकी रणनीति सफल हो रही थी.

मुगलों का हो गया था कब्जा

इस युद्ध के बाद मेवाड़, चित्तौड़, गोगुंडा, कुंभलगढ़ और उदयपुर पर मुगलों का कब्जा हो गया. सारे राजपूत राजा मुगलों के अधीन हो गए और महाराणा को दर-बदर भटकने के लिए छोड़ दिया गया. महाराणा प्रताप हल्दीघाटी के युद्ध में पीछे जरूर हटे थे लेकिन उन्होंने मुगलों के सामने घुटने नहीं टेके. वे फिर से अपनी शक्ति जुटाने लगे थे ।

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