Sunday, 7 February 2021

नारी सर्वयदा पूज्यते

हे नारी तुम बिन अधूरी है ये धरा की धुरी,
तुम बिन कब और कहां पूरी होती है गति । 
सृष्टि की नारी ही सदा से रही है सृजन  कर्ता,
तुम सुधा बिन नवपौध कहा होती हैं पूरी  ।।
न कोई समझा न समझ पाया है राज़ तेरा,
हर जन्म में तुझे ही सबसे सर्वश्रेष्ठ पाया।
विभिन्न स्वरूपो की सदा रही धनी तुम, इसलिये तो एक नाम नारीश्वर कहलाया ।।

नारी तू जननी बन सब को संसार  दिखाया, 
रिश्ते के अटूट बंधन भाई बहन को सँवारा।
हर संकट में भार्या बन दुःख सुख है बाटा,
कन्या बन घर आँगन को खूब महकाया ।।

जिस घर नारी की सदा होती रहती है पूजा,
उस  घर  की सुख शांति सारे जहां होती हैं दूजा।
बनकर हर घर आंगन में बगिया की क्वारी, 
घर का सरताज़ बन मान सदा बढ़ाती नारी ।।

नारी तेरा जिस घर हो वास वह स्वर्ग होता,
बस वही घर तब पूर्ण परिवार है कहलाता।
करके तप त्याग, बन करुणानिधि है तू नारी,
बस इसी धरा पर ही है तू सम्पूर्ण स्वर्ग बसाया ।।

जिस गृह में साक्षात गृह लक्ष्मी को है पूजे जाते, 
वह गृह धन धान्य वैभव लक्ष्मी से पूरा भर जाता ।सुख समृद्धि सदा कदम चूमती रहती उनकी,
नाम यश नेह स्नेह की शौहरत को पाता।।

नारी को जो सदा देता रहता है मान, 
और न कभी जो करते उनका अपमान । इससे सम्मान उनका बढ़ेगा होगा खुद का भी उद्धार,
सच मानो खुद का जीवन होगा माला माल आबाद ।।

इतिहास गवाह है युगों युगों से, दर्द सहकर भी
साथ सदा निभाया हर प्रकार के नर  का ।
जलाती रही सदा सत्य शिक्षा की ज्योति ज्ञान, भूलू कैसे नारी बिन अस्तित्व नहीं मेरा जहां मे।।


या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

✍  स्वरचित सुमन सोनी वाइस प्रिंसिपल
     भागलपुर बिहार 

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